छठ पर्व पर सूर्य की उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति व आस्था का प्रकृति से गहरा जुड़ाव है : सीएम

मुख्यमंत्री ने महा छठ पर्व महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि अस्त होते हुए सूर्य देव को दिया अघ्र्य और प्रदेश की जनता की सुख समृद्धि के लिए की कामना, मुख्यमंत्री ने संस्था की मांगों को किया स्वीकार, ऐच्छिक कोष से 21 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा

Nov 7, 2024 - 20:01
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छठ पर्व पर सूर्य की उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति व आस्था का प्रकृति से गहरा जुड़ाव है : सीएम
छठ पर्व पर सूर्य की उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति व आस्था का प्रकृति से गहरा जुड़ाव है : सीएम

करनाल, 7 नवंबर। सीएम नायब सिंह सैनी ने महा छठ पर्व महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले पश्चिमी यमुना नहर के किनारे स्थापित भगवान सूर्य देव मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा आर्शीवाद लिया। इसके बाद मुख्य मंच पर भगवान सूर्य देव के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके पश्चात यमुना नहर के छठ घाट पर अस्ते होते हुए सूर्य देव को अघ्र्य दिया और प्रदेश की जनता की सुख समृद्धि के लिए कामना की।

इस मौके पर मुख्यमंत्री का छठपर्व सेवा समिति मंडल करनाल के अध्यक्ष सुरेश यादव सहित अन्य पदाधिकारियों ने पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने अपने ऐच्छिक कोष से 21 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि सूर्य पुत्र महावीर-दानवीर कर्ण की नगरी करनाल में छठ पर्व की पूजा में शामिल होने का अवसर मिला है।

मैं सभी माताओ-बहनों को छठ महापर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। साथ ही कामना करता हूं कि छठ मैया सदैव आपकी झोली खुशियों से भरकर रखे। उन्होंने कहा कि मूल रूप से पूर्वांचल में मनाया जाने वाला यह पर्व अब विभिन्न प्रदेशों की सीमाएं लांघकर देशभर में मनाया जाने लगा है। उन्होंने कहा कि छठ महापर्व हमें प्रकृति से प्रेम, जल व वायु को स्वच्छ रखने और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। सूर्य की उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति व आस्था का प्रकृति से गहरा जुड़ाव है। छठ पूजा के जरिए हमारे जीवन में सूर्य के प्रकाश के महत्व को बताया गया है।

चढ़ते सूरज की पूजा हर कोई करता है, लेकिन आप सूरज के हर रूप की पूजा करते हैं। इसमें ढलते सूरज की पूजा करना भी अद्भुत है। इससे यह संदेश जाता है कि हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में समान भाव रखना चाहिए। छठ पूजा को सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना गया है। ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता सूर्य नारायण की पूजा इस पर्व के दौरान मनोकामना पूर्ति, समृद्धि और प्रगति प्रदान करने के लिए की जाती है। इस पर्व के दौरान सभी श्रद्धालु जल में खड़े होकर भगवान सूर्यनारायण को जल अर्पित करते हैं। इससे हमारे मन में यह भाव भी दृढ़ हो जाता है, जिस तीर्थ के जल में हम पूजा करते हैं, उसे साफ-सुथरा रखना हमारा कर्तव्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्र की तरह यह पर्व भी साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में आता है। छठ पूजा का सम्बन्ध हरियाणा से भी है। एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की थी। आज भी यहां सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव दिखता है। यह पर्व आपसी प्रेम और समानता का संदेश भी देता है। उन्होंने कहा कि भगवान सूर्यनारायण मन्दिर इसी आस्था और श्रद्धा का परिणाम है। हर साल हजारों श्रद्धालुओं द्वारा यहां छठ पर्व मनाने की परंपरा को देखते हुए हरियाणा सरकार ने पश्चिमी यमुना कैनाल पर 4 करोड़ 48 लाख रुपये की लागत से स्नान घाट का निर्माण किया है।

खुशी की बात है कि इसी घाट के सामने नहर के दूसरे किनारे पर भी स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक और घाट का निर्माण हो चुका है। आज भी इन घाटों पर भारी संख्या में महिलाएं पूजा कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल परिवारों की महिलाए बहुत मेहनती है और हर समय अपने परिवार के लिए कठोर साधना करती है। इसी साधना का परिणाम यह है कि छठ पूजा के दिन घंटों पानी में खड़े  रहकर भगवान श्री सूर्य नारायण की पूजा करती है। आज भी अनेक माताएं-बहनें यह पूजा कर रही हैं। उन्होंने उनकी श्रद्धा, सहन शक्ति, धैर्य और साहस को प्रणाम किया।

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