भू-माफिया गिरी में पूर्व चकबंदी अधिकारी समेत पांच लोगों को 9-9 साल की कैद व 5 - 5 हजार रुपए का जुर्माना
राष्ट्र विभाजन के छोड़ी गई इस शत्रु संपत्ति का ताल्लुक पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री नवाब लियाकत अली खां की खानदानी जायदाद से बताया गया है और ये प्रॉपर्टी अरबों रुपए की बताई जाती है।
विकास सुखीजा
करनाल, 5 अक्टूबर। देश के संविधान ने जिन लोगों के हाथों में कानून को लागू रखने व लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी सौंप रखी है, उन्हीं के हाथों कानून की गर्दन मुसीबत में आ जाए, तो ये तौबा-तौबा का मुकाम नहीं, तो और क्या है। ताजा मामला कुछ इसी तरह के वाक्या से जुड़ा है। इस मामले में जिले के हलका इंद्री स्थित ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उस चकबंदी अधिकारी को विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत 9-9 साल की कैद और 5 हजार रुपए के जुर्माने की सख्त से सख्त सजा सुनाई है, जिस पर कस्टोडियन प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड मुताबिक़ तमाम प्रबंधन की कानूनी जिम्मेदारी थी।
जानकारी मुताबिक उस वक्त यह सारा रिवैन्यु रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश की तहसील नुक्कड़ में हुआ करता था, जिसे वहां से असल रूप में हरियाणा न लाकर, उल्टा भू-माफिया से साजबाज हो रिकॉर्ड का फर्जीवाड़ा कर डाला गया था। सजा का यह फैंसला ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट हर्षा शर्मा ने मुकदमा नम्बर-0328, दिनाँक 5 /10/2010, थाना इंद्री में भादंसं की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत कोर्ट में स्टेट बनाम गुरविंद्र सिंह वगैरहा के टाईटल से चले करीब 13 साल पुराने मुकदमें में सुनाया गया है।
इस मुकद्दमें में करनाल जिला मुख्यालय पर तैनात रहे तत्कालीन चकबंदी अधिकारी दलबीर सिंह जो अब सेवानिवृत हो चुकें है, चार अन्य लोगों के साथ आरोपियों देवेंद्र सिंह निवासी गांव खानपुर कस्बा इंद्री, बलदेव सिंह, हरविंद्र सिंह और गुरविंद्र सिंह निवासी यमुनानगर की शिनाख्त के रूप में नामजद हुए थे। चकबंदी अधिकारी दलबीर सिंह को छोडक़र कोर्ट द्वारा घोषित, बाकि सभी चारों दोषियान प्रॉपर्टी डीलर के धंधे से जुड़े बताए जाते हैं और जिन्हें भू-माफिया के रूप में अंकित किया गया। उपरोक्त घोषित पांचों सजायाफ्ता दोषियान में से एक गुरविंदर सिंह की दौरान-ऐ मुकद्दमा मौत हो चुकी है।
बाकि के चार दोषी अभी जिंदा हैं। मुकदमें की सभी धाराओं में सुनाई गई सजाओं के एक साथ चलने व बरकरार रहने पर, सभी चारों दोषियों को पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना अदा करने के अलावा कम से कम 2-2 साल की जेल अवश्य काटनी पड़ेगी। ज्ञात रहे कि मुकदमें के वक्त उक्त संदर्भित मामला कस्टोडियन प्रॉपर्टी का था, लेकिन 2018 में इस कस्टोडियन प्रॉपर्टी को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा शत्रु सम्पत्ति घोषित कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक यह सम्पत्ति इन्द्री हल्के के गांव डबकौली खुर्द स्थित है।
शत्रु सम्पत्ति उसे कहा जाता है, जिसे स्थानीय मुसलमान 1947 में राष्ट्र विभाजन के वक्त छोड़ कर पाकिस्तान चले गए थे और वहीं पुनर्वासित हो गए थे। कायदे से इस संपत्ति की मालिक भारत सरकार होती है। लेकिन इस सम्पति की देखभाल न होकर भू-माफिया के नजनों के कारण खुर्द-पुर्द हो गई। उल्लेखनीय है कि इंद्री के गांव डबकौली खुर्द स्थित घोषित शत्रु संपत्ति का ताल्लुक पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री नवाब लियाकत अली खां की खानदानी जायदाद से था। यह प्रॉपर्टी अरबों रुपए की बताई जाती है, जिसका एक बड़ा हिस्सा करनाल शहर व आसपास के गांव में भी मौजूद है। इस प्रॉपर्टी को लेकर फर्जी वसीयतनामा और फर्जी वारिसान का एक बेहद दिलचस्प नाटकीय प्रकरण अलग से भी है।
What's Your Reaction?