Good News: चांद के और करीब पहुंचा Chandrayaan-3; तीसरी कक्षा में हुई सफल एंट्री

इससे पहले 5 अगस्त को चंद्रयान चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आया था और इसकी कक्षा में स्थापित हो गया था। यह इसरो के लिए बड़ी सफलता थी। बता दें कि 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान चांद की कक्षा में पहुंचा था।इसकी गति को कम कर दिया गया था जिससे यह चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित हो सके। इसके बाद याने के फेस को पलटा गया और आधे घंटे तक फायर किया गया।

Aug 9, 2023 - 22:07
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Good News: चांद के और करीब पहुंचा Chandrayaan-3; तीसरी कक्षा में हुई सफल एंट्री
नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन अब अपने लक्ष्य के बेहद करीब है। आज चंद्रयान-3 चंद्रमा की ओर एक कदम और चलने वाला है। इसरो ने इसकी एक और कक्षा घटा दी है। चंद्रयान 3 तीसरी कक्षा में प्रवेश कर गया है। यानी अब यह चंद्रमा के और करीब से चक्कर लगाएगा। इससे पहले रविवार को इसकी कक्षा घटाई गई थी और 170X14313 किलोमीटर की अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। अब यह 174X 1437 Km की कक्षा में चक्कर लगाएगा।
इससे पहले 5 अगस्त को चंद्रयान चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आया था और इसकी कक्षा में स्थापित हो गया था। यह इसरो के लिए बड़ी सफलता थी। बता दें कि 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान चांद की कक्षा में पहुंचा था।इसकी गति को कम कर दिया गया था जिससे यह चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित हो सके। इसके बाद याने के फेस को पलटा गया और आधे घंटे तक फायर किया गया।
चंद्रमा के करीब पहुंचते ही चंद्रयान ने सुंदर तस्वीरें भेजी थीं। इसरो ने वेबसाइट पर इसका वीडियो अपलोड कियाथा। लैंडर और रोवर के चंद्रमा पर उतरने से पहले चंद्रयान अभी दो बार और अपनी कक्षा बदलेगा। यह धीरे-धीरे चंद्रमा के करीब ही जाता रहेगा। इसके बाद लैंडर रोवर के साथ सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। खास बात है कि भारत चंद्रयान की लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव पर कराने वाला है जहां अभी किसी देश ने लैंडिंग नहीं करवाई है।
चंद्रयान के लैंडर और रोवर चांद पर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। पहले लैंडर उतरेगा और फिर उसमें से रोवर बाहर आएगा। रोवर बाहर कुछ दूर तक चलकर रिसर्च करेगा और सारी जानकारी लैंडर को देगा। लैंडर सारी इन्फॉर्मेशन ऑर्बिटर को पास करेगा जो कि धरती तक ट्रांसमिशन करेगा। इससे चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन किया जाएगा साथ ही पता लगाया जाएगा कि चंद्रमा पर भूकंप कैसे आते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिणी ध्रुव बेहद ठंडा रहता है ऐसे में यहां पानी की मौजूदगी की भी जानकारी मिल सकती है। 14 दिन के बाद इस हिस्से में अंधेरा होने लगेगा।

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