समाज सेवा की मिसाल बने लक्ष्य जनहित सोसाईटी के फाऊंडर दिनेश बक्शी
उम्र-53, रक्तदान-134 बार, प्लेटलेट्स दान-82 बार, ट्री गार्ड फ्री मुक्त मुहिम के तहत ट्री गार्ड में फसे 2006 पेड़ों की मुक्त कराना, गरीब कन्याओं का विवाह कराना, विक्लांगों की मदद करने जैसी सेवा से 150 अवार्ड प्राप्त कर चुके है समाजसेवी दिनेश बक्शी

विकास सुखीजा
करनाल, 25 दिसंबर। जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है, ये सोचना और इसे समझ पाना हो तो आप को मिलना होगा करनाल के रहने वाले समाजसेवी दिनेश बक्शी से, जो एक सम्माने परिवार से संबंध रखते है और अपने परिवार का निर्वाहा करने के लिए एक छोटी से इलेक्ट्रीशन की दुकान चलाते है।
दिनेश बक्शी को दुकान को चलाते चलाते कब किस समय समाज की सेवा करने का जनुन पैदा हो गया, उसका उन्हें भी पता नही चला। इसी जनुन के चलते उन्हें अभी तक एक सौ पचास सरकारी, गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। दिनेश बक्शी के समाज के प्रति सेवा के लगाव को देखा जाए तो वे आज इस समाज के लिए प्ररेणा ही नही एक मार्ग दर्शक तक बन गए है।
दिनेश बक्शी के मुताबिक उनका ये सफर 1992 से शुरू हुआ और आज तक उसकी गति से चलता आ रहा है, जिस गति से उन्होंने इस सफर को शुरू किया था। उनकी एक ऐसी मुहिम है, जिस के लोग कायल ही नही, बल्कि उसे वे भी अपने जीवन में उतारने के लिए मजबूर हो गए है।
हम बात कर रहे है उनके बनाई गई सामजिक संस्था लक्ष्य जनहित सोसाईटी। श्री बक्शी ने अपनी इस सामाजिक संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो की चर्चा करते हुए विशेष बातचीत में बताया कि उन्हांने अभी
अपनी 53 की उम्र में अभी तक 134 बार रक्तदान किया और इसी के साथ उन्होंने 82 बार प्लेटलेट्स दान किए, कई गरीब कन्याओं का विवाह कराया, विक्लांगों की मदद करने में भी पीछे नही रहे।
उन्होंने बताया कि एक दिन अचानक उन्होंने महसूस किया कि पर्यावरण को बचाने के लिए सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर पेड़ पौधे लगाए जाने की मुहिम चलाई जा रही है और पेड़ों को सुरक्षित बड़ा होने के लिए उन्हेें लोहे के जाल यानि कि ट्री गार्ड में जकड़ दिया जा रहा है, लेकिन किसी ने भी पेड़ोंं के बड़े होने पर उन्हें उन लोहे के पिंजरों से मुक्ति नही दिलाई, जो उनकी सुरक्षा में लगाए गए थे।
उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए इन पेड़ों के संरक्षण को सुनिश्वित करने का मन बना लिया और जिस के बाद प्रशासन से अनुमति लेकर लोहे के पिंजरों में जकड़े पेड़ों को आजाद करना शुरू कर दिया। दिनेश बक्शी ने बताया कि अभी तक वे दो हजार से भी अधिक पेड़ोंं को इन लोहे के पिंजरों से मुक्त करा चुके है और ये मुहिम लगातार जारी है। उनका कहना है कि जब तक उन में दम है, तब तक वे इसी प्रकार से समाज की सेवा करते रहेगें।
उन्होंने बताया कि अभी उन के कार्यो को देखते हुए सरकार व गैर सरकारी संस्थाओं ने 150 अवार्ड देकर सम्मानित किया है। उन्होंने बताया कि वे लक्ष्य जनहित सोसाईटी के फाऊंडर है और उनके साथ कई लोग भी जुड़ चुके है, ताकि उनके द्वारा चलाई जा रही मुहिम को गति प्रदान की जा सकें।
दिनेश का ये सिलसिला जारी है और उन्होंने अपनी ट्री गार्ड फ्री ट्री मुहिम के तहत पुरानी सब्जी मंडी स्थित ट्रैफिक चौकी के पास आज पांच पेड़ो को लोहे के ट्री गार्ड से आजाद करवाया गया। इसके अलावा उन्होंने गत दिवस 82 वीं बार मानवता की भलाई के लिए प्लेटलेट्स दान किए।
दिनेश बक्शी का कहना है कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति 3 महीने के अंतराल में ब्लड डोनेट कर सकता है, जबकि प्लेटलेट्स देने के 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दान कर सकता है तथा महीने में 2 से 3 बार प्लेटलेट्स दान कर सकता है, इससे शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती।
What's Your Reaction?






