कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में समय से पहले महिला की डिलीवरी होने के मामले में बड़ी लापरवाही आई सामने
मेडिकल कॉलेज के डारेक्टर ने एक स्टाफ नर्स ओफिसर को किया निलंबित व एक अन्य कर्मचारी को लंबी छुट्टी पर भेजा, एक डाक्टर सहित पांच को शोकोज नोटिस भेजा, नर्सिंग स्टाफ ने किया कड़ा विरोध
करनाल, 28 सितम्बर (विकास सुखीजा)। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल में एक छह माह की गर्भवती महिला की अचानक डिलीवरी होने से पैदा हुए बच्चे की मौत का मामला सामने आया है। इधर जैसे ही एक सामाजिक संस्था के कार्यकर्ता को इसकी सूचना मिली तो पूरे अस्पताल में कौहराम मच गया। सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि इसने तुरंत इसकी सूचना मेडिकल कॉलेज के डारेक्टर डाक्टर जगदीश चंद्र दुरेजा के साथ-साथ करनाल की मेयर रेनू बाला गुप्ता सहित मुख्यमंत्री की विधानसभा प्रतिनिधि संजय बठला को दी।
जिस के बाद मेडिकल कॉलेेज का प्रशासन हरकत में आया। इस सनसनीखेज मामले के तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज के डारेक्टर ने पांच सदस्यों की टीम घटीत कर दो दिन में जांच पूरी करवा ली। जिस के बाद आज जब इस संबंध में डारेक्टर डाक्टर दुरेजा से मामले की जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच में लगभग सात लोगों की लापरवाही का मामला सामने आया बताया है। डाक्टर दुरेजा का कहना है कि इस मामले में एक स्टाफ नर्स ओफिसर को निलंबित किया गया है और जब कि एक कर्मचारी जो पार्ट-दू का था उसे लंबी छुट्टी पर भेजा गया है।
इसके अलावा एक डाक्टर सहित पांच मेडिकल ओफिसर को शोकाज नोटिस भेजा गया है। इधर सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि वे इस मामले की शिकायत पुलिस में करेंगे, ताकि पता चल सकें की छह माह की गर्भवती महिला की डिलीवरी कैसे हो सकती है। जब कि इस महिला का उपचार इसी अस्पताल में पीछले ढेड माह से चल रहा था। इस लापरवाही की सच्चाई सबके सामने आनी चाहिए और जो दोषी है, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही हो सकें।
उधर मेडिकल कॉलेज द्वारा स्टाफ नर्स ओफिसर को निलंबित किए जाने का सभी नर्सिंग स्टाफ ने कड़ा विरोध किया है और इस जांच पर ही कई तरह के सवाल खड़े कर दिए है। इन सब का कहना है कि जो जांच की गई हैं, वो निष्पक्ष जांच नहीं हुई और केवल उनकी एक स्टाफ नर्स ओफिसर को निलंबित कर सबको बचाया गया है, जिसे किसी किमत पर बर्दाशत नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी खुलासा किया है कि जिस महिला कि समय से पहले अचानक डिलीवरी हुई है, वो ढेड माह से अस्पताल में दाखिल थी, लेकिन ये किसी को मालूम नहीं था कि वो छह माह के गर्भ से है।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा वही उपचार किया जा रहा था जो डाक्टर लिखा जाता था। उन्होंने साफ तौर पर कहाँ कि इस में डाक्टर की लापरवाही है और जो स्टाफ उनके साथ डयूटी दे रहा था। उन्होंने बताया कि न तो वार्ड में सुरक्षा कर्मी होते है और ही चपड़ासी मौके पर होते है। इतना ही नही यहां का इंटरकोम सिस्टम भी कई महीनों से खराब पड़ा हुआ है। उन्होंने मांग कि है कि इस सनसनीखेज मामले की जांच जिला प्रशासन द्वारा किसी एचसीएस अधिकारी से कराई जाए,
क्योंकि जो जांच कराई गई हैं, वो निष्पक्ष नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहाँ कि यदि उनकी मांग को माना नहीं गया तो पूरे अस्पताल में हड़ताल कर दी जाएगी। समाचार लिखे जाने तक नर्सिंग स्टाफ से मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत का दौर जारी था।
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