संगठित होकर रहने से जीवन सहज हो जाता है : दीदी माँ
संगठित होकर रहने से जीवन में सहजता आती है। हम जड़ से जुड़ जाते हैं। सज्जन जब संगठित हो जाते हैं। तब दुर्जन कमजोर हो जाते हैं । श्री राम ने वनवास काल में रावण का अंत करने के लिए जिस तरह छोटी-छोटी शक्तियों को एकत्र कर शक्तिमान बने, उसी तरह वर्तमान की आसुरी शक्तियों को खत्म करने हमें एक होना होगा।
नीमच। संगठित होकर रहने से जीवन में सहजता आती है। हम जड़ से जुड़ जाते हैं। सज्जन जब संगठित हो जाते हैं। तब दुर्जन कमजोर हो जाते हैं । श्री राम ने वनवास काल में रावण का अंत करने के लिए जिस तरह छोटी-छोटी शक्तियों को एकत्र कर शक्तिमान बने, उसी तरह वर्तमान की आसुरी शक्तियों को खत्म करने हमें एक होना होगा।
यह प्रेरक विचार दीदी माँ साध्वी ऋतम्भराजी ने स्व. कंचनदेवी-प्रेमसुखजी गोयल एवं स्व. रोशनदेवी मदनलाल चौपड़ा की स्मृति में गोयल व चौपड़ा परिवार द्वारा वात्सल्य सेवा समिति नीमच, श्री अग्रवाल ग्रुप नीमच व मंडी व्यापारी संघ नीमच के तत्वावधान में वात्सल्य धाम दशहरा मैदान पर आयोजित श्री रामकथा के विश्राम अवसर शुक्रवार को कथा पांडाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने ने कहा कि आत्म साक्षात्कार के लिए हमें भी श्री राम की तरह अयोध्या रूपी मोह-माया को त्यागना होगा। त्याग का अर्थ यह नहीं कि घर को त्याग दिया जाए। त्याग का तात्पर्य यह है कि हमारे मन में बैठी बुराईयों का त्याग करें। हमारी जो विकृत्तियां हैं, उनका त्याग करें। यही वनवास है।
दीदी माँ ने कहा कि सूर्पणखा एक वृत्ति है, जिसने रावण के मन में राम के प्रति बुराई का संचार किया। दीदी माँ ने कहा कि युद्ध का सिद्धांत है कि दुश्मन के मन में भय पैदा करो। जैसा कि हनुमान ने लंका में जाकर लंकावासियों के मन में पैदा किया था। उन्होंने अपनी पंूछ में लगी आग से लंका को जला दिया था और लंकावासी भी भयभीत हो गए थे कि जब राम की सेना का एक वानर लंका को आग लगा सकता है तो उसके शेष योद्धा कैसे होंगे। दीदी माँ ने कहा कि लंका में कर्म ही होते हैं। कर्म के पहले विचार नहीं किए जाते हैं, लेकिन हनुमान ने कर्म के साथ ही विचार भी किए। कर्म करने से पहले मन में विचार आ जाए, उसे ही सुंदरकांड कहते हैं।
जानकी संग राम पहुंचे अयोध्या, हुआ राज-तिलक-
कथा विश्राम के अवसर लंका पर विजय पाने के बाद श्रीराम सीता के साथ अयोध्या पहुंचेऔर उनका राज-तिलक किया गया। इस प्रसंग का सचित्र वर्णन किया गया। पूरा राम दरबार सजाया गया। जिसे देख पूरा पांडाल जय राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के जयकारों से गूंज उठा। एक बार फिर वात्सल्य धाम अयोध्या नगरी बन गया। लोगों ने घर-घर दीपक जलाए और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
कथा के विश्राम अवसर पर संयुक्त रूप से गोयल परिवार के अनिल गोयल और चौपड़ा परिवार की ओर से संतोष चौपड़ा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री रामकथा के सात दिवसीय आयोजन में श्रद्धालुओं, सेवाभावी संगठनों और हिंदू समाज के सभी वगा~ से जो एकता का परिचय दिया है और जो सहयोग किया, उसके लिए सभी का आभार। इस मौके पर कथा के सफल आयोजन पर दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी ने अनिल गोयल व संतोष चौपड़ा को मंच पर बुलाकर आशीर्वाद भी प्रदान किया।
समापन अवसर पर कथा में इस मौके पर कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक दिलीपसिंह परिहार, नगरपालिका अध्यक्ष स्वाति गौरव चौपड़ा, रियल स्टेट ब्रोकर्स ग्रुप के अध्यक्ष राजेश जैन, सांसद प्रतिनिधि आदित्य मालू , राजेश सोनी, सत्यनारायण गोयल समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक व धर्मप्रेमी जन मौजूद थे। कथा विश्राम पर महाआरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया।
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