नई दिल्ली : सरकार आनलाइन मंच पर ग्राहकों के मन में डर या उपहास की भावना पैदा करने, माल की कमी का भ्रामक संकेत दिखा कर खरीद में हड़बड़ी कराने, भगुतान आधारित सदस्यता छोड़ने से रोकने, बिलिंग के समय कुछ गैर जरूरी चीजों खरीदने या कुछ दान आदि देने के लिए प्रेरित करने जैसी चालों को गुमराह करने वाली कार्यप्रणाली या ‘डार्क पैटर्न’ की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव कर उसे उभोक्ता अधिकार संरक्षण कानून के तहत निषिद्ध करने जा रही है।
केंद्र के उपभोक्ता कार्य विभाग ने आनलाइन बाजार में ग्राहकों को खरीदारी के समय भ्रमित करने की चालबाजियों पर शिकंजा कसने के लिए उपभोक्ता कार्यविभाग ने नियमों का एक सौदा जारी करते हुए गुरुवार को इन पर जनता से पांच अक्टूबर तक सुझाव आमंत्रित किए हैं।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार मसौदा दिशानिर्देशों में ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा अपनाई जा रही ऐसी विभिन्न भ्रामक कार्य प्रणालियां सूचीबद्ध की गयी है जो उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ हो सकती हैं। इनमें झूठी अत्यावश्यकता या अलर्ट (माल खत्म होने की स्थिति का भ्रामक संकेत), बास्केट स्नीकिंग ( निकले निकलते ग्राहक की सहमति के बिना अतिरिक्त वस्तु डालना या ग्राहक को परमार्थ में दान आदि के लिए भ्रमित करना),कन्फर्म शेमिंग ( ग्राहक में लज्जित होने का डर पैदा करना), सदस्यता जाल ( भुगतान की गई सदस्यता को रद्द करना असंभव या लंबी और जटिल बनाने की प्रक्रिया ), इंटरफेस हस्तक्षेप (बिना संदर्भ की सूचना से ग्राहक को प्रभावित करना), जबरन कार्रवाई (खरीद या सदस्यता के लिए दबाव), ड्रिप प्राइसिंग (कीमत को बाद में प्रकट करना),छद्म विज्ञापन और नैगिंग (इच्छित विकल्प को अपनाने में रुकवाट पैदा करना) जैसी चालें शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये दिशानिर्देश ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, कानून फर्मों, सरकार और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए हैं। प्रस्तावित दिशानिर्देश उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 की धारा 18 (l) (एल) के तहत जारी किए जाएंगे। उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) ने गित 13 जून को डार्क पैटर्न (भ्रामक कार्यप्रणाली) पर एक परिचर्चा आयोजित की भह जिसमें भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई), विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, एनएलयू, लॉ फर्मों आदि ने भाग लिया। बैठक में इस बात पर आम सहमति बनी कि आनलाइन मंचों पर इस तरह की भ्रमक चालें चिंता का कारण है और इससे सक्रिय रूप से निपटने की जरूरत है।
उसके बाद उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव द्वारा ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संघों और हितधारक परामर्श के प्रतिभागियों को दिनांक 28 जून को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें उनसे अपने प्लेटफॉर्म के ऑनलाइन इंटरफ़ेस में किसी भी ऐसे डिज़ाइन या पैटर्न को शामिल करने से परहेज करने का अनुरोध किया था जो उपभोक्ता की पसंद को धोखा दे सकता है या हेरफेर कर सकता है और डार्क पैटर्न की श्रेणी में आ सकता है। विभाग ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों को सलाह दी है कि वे उपभोक्ता की पसंद में हेरफेर करने के लिए अपने ऑनलाइन इंटरफ़ेस में किसी तरह की भ्रामक कार्यप्रणाली को शामिल न होने दें।
विभाग ने कहा है कि इस तरह की चालबाजी उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 की धारा 2(9) के तहत निहित ‘उपभोक्ता अधिकारों’ का उल्लंघन माना जाता है। विभाग ने इस संबंध में एक कार्यबल का गठन किया गया जिसमें उद्योग संघों, एएससीआई, एनएलयू, वीसीओ और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म- गूगल, फ्लिपकार्ट, आरआईएल, अमेज़ॅन, गो-एमएमटी, स्विगी, ज़ोमैटो, ओला, टाटा क्लिक, फेसबुक, मेटा, शिप रॉकेट और गो-एमएमटी के प्रतिनिधि शामिल थे। टास्क फोर्स के सदस्यों की 5 बैठकें हुईं, जिनमें टास्क फोर्स के सभी सदस्यों से मसौदा नीति के लिए जानकारी ली गई।