अन्नदाता की अनदेखी बीजेपी-जेजेपी को पड़ेगी भारी : भूपेंद्र सिंह हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया मंडियों का दौरा, किसानों-मजदूर, आढ़ती व अधिकारियों से की बातचीत हुड्डा बोले, प्राइवेट एजेंसियों को लाभ पहुंचाने व बाजार में फसल का रेट गिराने के लिए जानबूझकर देरी से खरीद शुरू करती है सरकार
करनाल, 12 अक्तूबर। बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा चलाए गए ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ जैसे पोर्टल ने किसान, मजदूर, आढ़ती समेत हर वर्ग को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस सरकार में ना किसानों को एमएसपी मिल रही, ना मुआवजा, ना खाद और ना दवाई। ये कहना है घरौंडा और करनाल मंडी में आए किसान, मजदूर और आढ़तियों का। यह लोग पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने समस्याओं को रख रहे थे। हुड्डा मंडी में धान और बाजार खरीद का जायजा लेने पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने सभी की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को उनके निवारण के निर्देश दिए।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार हमेशा की तरह फसल व किसान की बेकद्री कर रही है। कई-कई दिनों इंतजार के बावजूद मंडी में खरीद नहीं हो रही। कांग्रेस ने बार-बार सरकार से जल्द खरीद शुरू करने की मांग की थी। बावजूद इसके सरकार ने 15 दिन देरी से खरीद शुरू करने का ऐलान किया, लेकिन उसके बाद पोर्टल नहीं चलने का बहाना बनाकर किसानों को परेशान किया गया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान फसल मंडी में आते ही सरकारी खद शुरू कर दी जाती थी। इसके चलते प्राइवेट एजेंसियों को भी एमएसपी से ऊंचे रेट पर खरीद करनी पड़ती थी और बाजार में फसल का रेट बढ़ता था।
इसके विपरीत मौजूदा सरकार जानबूझकर खरीद में देरी करती है ताकि बाजार में फसल के रेट गिर जाएं और प्राइवेट खरीदारों को सस्ते रेट में फसल मिले व किसानों को घाटा हो। इतना ही नहीं सरकार ने जानबूझकर धान के निर्यात पर भी रोक लगा दी। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में धान के ऊंचे रेट का लाभ भी किसानों को नहीं मिल रहा। सरकार को ये प्रतिबंध हटाना चाहिए और सुचारू रूप से खरीद के साथ उठान व पेमेंट में भी तत्परता दिखानी चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि सरकार के लोग अक्सर पोर्टलों की वकालत करते हैं। उन्हें अब मंडियों में जाकर पोर्टल की वजह से परेशान हो रहे किसानों से मिलना चाहिए। तभी उन्हें इन पोर्टल की सच्चाई पता चलेगी। क्योंकि ये पोर्टल किसान को एमएसपी और मुआवजे से वंचित करने का जरिए बनकर रह गए हैं।
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